30 days festival - ritual competition 5-Nov-2022 ( 8) अरुणाआंचल प्रदेश के मुख्य त्यौहार
शीर्षक = अरुणाँचल प्रदेश के मुख्य त्यौहार
वैसे तो हिंदुस्तान में जितने धर्म है उतने ही त्यौहार है , लेकिन कुछ त्यौहार ऐसे है जो सिर्फ किसी एक राज्य के लिए बहुत ही खुशियों वाला त्यौहार होता है ।
इसी के साथ अब हम अपनी कहानी या लेख के माध्यम से भारत के भिन्न भिन्न राज्यों में मनाये जाने वाले वहा के प्रसिद्ध त्यौहार के बारे में बताएँगे तो सबसे पहले शुरुआत करते है , हिंदुस्तान के उस राज्य से जहाँ सूरज की किरणे सबसे पहले हिंदुस्तान की धरती पर पडती है, या यूं कहे सूर्य देव अपने दर्शन सबसे पहले जिस राज्य को देते है उस अरुणाचल प्रदेश के बारे में जानते है
अरुणाचल प्रदेश अपने प्राकृतिक वातावरण और खूबसूरती के साथ-साथ राज्य में मनाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे त्योहारों के लिए भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। आज इस लेख में हम अरुणाचल प्रदेश में मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहारों के बारे में बात करेंगें ।
अरुणाचल प्रदेश में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में यह सबसे प्रमुख त्योहार है। वैसे तो लोसर त्योहार का सम्बन्ध मुख्यतः तिब्बत से है तथा तिब्बती नए वर्ष को ‘लोसर’ के नाम से ही जाना जाता है। लोसर को तिब्बती कैलेंडर के पहले दिन मनाया जाता है। ग्रिगेरियन कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार प्रत्येक वर्ष फ़रवरी-मार्च महीने में मनाया जाता है। यही कारण है कि तिब्बती मूल तथा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के साथ-साथ नेपाल, तिब्बत, भूटान में भी मनाया जाता है।
यह त्योहार अरुणाचल प्रदेश के मोनपा, मेम्बा, खाम्बा, नाह सहित अनेक जनजातीय समूहों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन तरह-तरह के पारम्परिक पकवान बनाए जाते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं, एक दूसरे का अपने घर पर स्वागत करते हैं, तरह-तरह के गीत गाए जाते हैं। इस दिन बौद्ध मठों को भी रंग-बिरंगे झंडों से सजाया जाता है। यह त्योहार अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ लद्दाख, सिक्किम, किन्नौर, स्पीति सहित अनेक हिमालयी क्षेत्रों में मनाया जाता है।
2- मोपिन त्योहार (Mopin Festival):
मोपिन अथवा मूपिन त्योहार को मुख्यतः अरुणाचल प्रदेश के गालो जनजातीय समूहों द्वारा मनाया जाता है। गालो जनजाति के लोग डोनी पोलो (Donyi- Polo) नामक धर्म का अनुपालन करते हैं। मोपिन त्योहार अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी तथा पश्चिमी सिआंग जिलों में ही मनाया जाता है। यह गालो जनजाति के लुकी महीने में मनाया जाता है जो कि ग्रिगेरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च से अप्रैल महीने में पड़ता है
यह एक फसल से सम्बंधित त्योहार है। इस त्योहार में मोपिन एने नामक देवी की पूजा की जाती है और ऐसा मत है कि यह देवी सम्पन्नता लातीं हैं। इस दिन सभी लोग अधिकतर सफ़ेद कपड़े पहनकर तैयार होते हैं। परम्परात रूप से विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार किये जाते हैं जिसमे अपुंग नामक पेय पदार्थ भी होता है जिसे कि बांस से बने प्यालों में पिया जाता है। खाने में चावल के विभिन्न प्रकार के भोज तैयार किये जाते हैं। मोपिन त्योहार के दिन गालो जनजातीय समूहों द्वारा पॉपीर नामक नृत्य किया जाता है।
इस त्योहार के दिन अरुणाचल प्रदेश में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की गाय की बलि भी दी जाती है। गाय की बलि के बाद लोग उसके खून को अपने घर लेकर जाते हैं जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
3- सोलुंग त्योहार (Solung Festival):
अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख त्योहारों में सोलुंग त्योहार भी एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार मुख्यतः अरुणाचल प्रदेश के ‘आदि’ जनजातीय समूह द्वारा ही मनाया जाता है। सोलुंग त्योहार अरुणाचल प्रदेश के सियांग और दिबांग जिलों में ही मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्यतः फसलों से सम्बंधित है अर्थात फसलों के बुवाई के उपरांत अगस्त से सितम्बर महीने में ही मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में इसे अगस्त के आखिरी सप्ताह में तथा कुछ क्षेत्रों में सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में मनाया जाता है।
इस त्योहार को तीन चरणों में मनाया जाता है जिन्हे सोपि-एक्पी (Sopi-Ekpi), बिन्नायत (Binnayat), तथा इकोप (Ekop) नामों से जाना जाता है। प्रथम चरण में गायों तथा सूअरों की बलि दी जाती है। द्वितीय चरण में फसलों की देवी काइन नाने (Kine Nane) की पूजा-अर्चना की जाती है। सोलुंग त्योहार के तृतीय चरण में दुष्ट आत्माओं से रक्षा हेतु पूजा-अर्चना की जाती है।
यह त्योहार अरुणाचल प्रदेश के अत्यंत प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस त्योहार के अंत में निबो और अबोतानी की कहानियां सुनाई जाती है।
4- ज़ायरो संगीत उत्सव (Ziro Music Festival):
ज़ायरो संगीत फेस्टिवल अरुणाचल प्रदेश के सबसे बड़े म्यूजिक फेस्टिवल के रूप में प्रसिद्ध है। इस उत्सव का आयोजन अरुणाचल प्रदेश के ज़ायरो घाटी में प्रत्येक वर्ष किया जाता है। यहाँ प्रत्येक वर्ष अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ देश-दुनिया के बड़े म्यूजिक आइकॉन पहुँचते हैं और ज़ायरों घाटी की सुंदरता को अपने आवाज से सवांरते हैं।
इस फेस्टिवल में स्थानीय कलाकारों की मदद से बांस का प्रयोग कर परफॉरमेंस स्टेज को बनाया जाता है। यहाँ पर दो स्टेज तैयार किये जाते हैं जिनमे एक स्टेज का नाम डोनी अर्थात सूरज तथा दूसरे स्टेज का नाम पोलो अर्थात चाँद होता है। इस त्योहार का संचालन और आयोजन अपातानी समुदाय के लोगों द्वारा ही किया जाता है।
इस फेस्टिवल में शामिल होने के लिए ऑनलाइन टिकट बेचे जाते हैं तथा यहाँ आने वाले टूरिस्ट्स से उम्मीद की जाती है कि वह अपने पीछे कोई भी वेस्ट मटेरियल ना छोड़े।
5- ड्री त्योहार (Dree Festival):
ड्री त्योहार अरुणाचल प्रदेश के अनेक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार मुख्यतः अरुणाचल प्रदेश के अपातानी समुदाय के लोगों के द्वारा मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष 5-7 जुलाई के मध्य इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार में अपातानी समुदाय के लोग अपने देवताओं तामु, हरनियांग, मेति और दानई की पूजा-अर्चना करते हैं
यह त्योहार मुख्यतः अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबनसिरी जिले में मनाया जाता है। इस अनोखे त्योहार में अपातानी समुदाय के लोग अपने देवताओं को खुश करने हेतु अंडे, मुर्गियों सहित अन्य जानवरों की बलि चढ़ाते हैं। दमिन्गदा (Damingda) नामक परंपरागत गीत भी गाये जाते हैं। इस दिन चावल से बने तरह-तरह के बियर अपने रिश्तेदारों को पीने के लिए दिए जाते हैं।
हालाँकि समय के साथ-साथ इस त्योहार के मनाने के रंगरूप में काफी परिवर्तन आया है फिर भी यह अरुणाचल प्रदेश का सबसे एक अनोखा और महत्वपूर्ण त्योहार है।
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30 days festival / ritual copetition हेतु
Gunjan Kamal
16-Nov-2022 08:21 AM
बहुत ही सुन्दर
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शताक्षी शर्मा
06-Nov-2022 10:25 PM
Beutiful story 👌
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Mithi . S
06-Nov-2022 10:12 PM
Behtarin rachana
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